Budget allocation for improving health infrastructure: स्वास्थ्य क्षेत्र को बजट में बढ़ावा, राज्यों से बेहतर खर्च की अपील
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने लोकसभा में 5 अगस्त को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए अनुदान की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन में 2013-14 के 33,278 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 90,958 करोड़ रुपये हो गया है, जो 164 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
मंत्री ने राज्यों से स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए अधिक खर्च करने का आग्रह किया और पीएम-आयुष्मान भारत हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत आवंटन में कटौती के विपक्ष के आरोपों को खारिज किया।
स्वास्थ्य मंत्री ने विपक्ष के दावों का खंडन करते हुए कहा कि राज्य पिछले साल के बजट में 4,200 करोड़ रुपये के आवंटन में से केवल 1,806 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाए हैं।
मंत्री ने कहा, “हम पैसा दे रहे हैं, लेकिन खर्च नहीं हो रहा है। आप पैसा खर्च करें, हम मौजूदा फंड खत्म होने पर अधिक फंड आवंटित करेंगे।” उन्होंने कहा कि इस साल पीएम-एबीएचआईएम के लिए 3,200 करोड़ रुपये रखे गए हैं।
मंत्री ने कहा, “हम सिर्फ घोषणाएं करने में विश्वास नहीं करते हैं। हम प्रभावी योजना बनाने, अंतिम मील तक पहुंच सुनिश्चित करने, अंतिम मील पर आने वाली बाधाओं की पहचान करने और उन्हें दूर करने के उपाय करने में विश्वास करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि कुल बजट में से 55 प्रतिशत राशि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से खर्च की जाती है।
“साथ ही केंद्र सरकार धीरे-धीरे स्वास्थ्य बजट बढ़ा रही है और वर्तमान में यह जीडीपी का 1.9 प्रतिशत तक पहुंच गया है। साथ ही जेब से भुगतान 62 प्रतिशत से घटकर 47.1 प्रतिशत हो गया है,” उन्होंने कहा।
मंत्री ने कहा कि कुल 22 एम्स को मंजूरी दी गई थी जिनमें से 18 चालू हैं और चार निर्माणाधीन हैं। इसके अलावा, जन औषधि केंद्रों के कुल 13,000 आउटलेट चालू हैं और अगले पांच वर्षों में 25,000 और ऐसे केंद्र खोलने की योजना है।
उन्होंने कहा कि बजट आवंटन में स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता दी गई है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करने के लिए 13,900 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी 387 से बढ़कर 731 हो गई है और स्नातक सीटें 51,348 से बढ़कर 1,12,112 हो गई हैं, जिसमें स्नातकोत्तर सीटों में 118 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
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श्री नड्डा ने यह भी कहा कि आयुष्मान भारत, निःशुल्क दवाएं और डायग्नोस्टिक सेवाओं और निःशुल्क स्क्रीनिंग के कार्यान्वयन के कारण जेब से भुगतान 62 प्रतिशत से घटकर 47.1 प्रतिशत हो गया है। उन्होंने कहा कि एनएचएम के तहत केंद्र जिला अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और आयुष्मान आरोग्य मंदिर को मजबूत करने के लिए राज्यों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार जरूरत पड़ने पर अधिक धन देने के लिए तैयार है। उन्होंने सवाल किया कि पश्चिम बंगाल ने डेंगू रिकॉर्ड क्यों नहीं भेजा है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश की प्रतिबद्धता | Budget allocation for improving health infrastructure
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश को प्राथमिकता दी है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करने के लिए 13,900 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अब देश में 731 मेडिकल कॉलेज हैं, जबकि पहले यह संख्या 387 थी। इसके साथ ही, अंडरग्रेजुएट सीटों में 118 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो अब 1,12,112 हो गई हैं।
आयुष्मान भारत योजना के प्रभावशाली परिणामों का उल्लेख करते हुए मंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत मुफ्त दवाएं, जांच सुविधाएं और निःशुल्क स्क्रीनिंग जैसी सुविधाओं के कारण लोगों पर स्वास्थ्य खर्च का बोझ कम हुआ है। जेब से स्वास्थ्य पर होने वाला खर्च 62 प्रतिशत से घटकर 47.1 प्रतिशत हो गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत केंद्र सरकार राज्य सरकारों को वित्तीय और तकनीकी मदद मुहैया करा रही है ताकि जिला अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और आयुष्मान आरोग्य मंदिर को मजबूत किया जा सके।
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार आवश्यक होने पर अधिक धनराशि देने के लिए तैयार है। उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार पर सवाल उठाते हुए पूछा कि राज्य ने डेंगू के आंकड़े क्यों नहीं भेजे हैं।
स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे पर जोर
मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार का ध्यान स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर है। पीएम-आयुष्मान भारत हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के लिए इस साल 3,200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। हालांकि, मंत्री ने चिंता जताई कि पिछले साल के लिए आवंटित 4,200 करोड़ रुपये में से राज्य सरकारें केवल 1,806 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार धनराशि उपलब्ध करा रही है, लेकिन इसका उपयोग प्रभावी ढंग से नहीं हो रहा है।
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मंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य सिर्फ घोषणाएं करना नहीं है, बल्कि प्रभावी योजना बनाना, अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सुनिश्चित करना और योजनाओं में आ रही बाधाओं को दूर करना है। उन्होंने बताया कि कुल बजट का 55 प्रतिशत हिस्सा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से खर्च किया जाता है और केंद्र सरकार स्वास्थ्य बजट में लगातार वृद्धि कर रही है, जो अब जीडीपी का 1.9 प्रतिशत हो गया है।
जन औषधि केंद्रों पर फोकस
Budget allocation: स्वास्थ्य मंत्री ने जन औषधि केंद्रों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि देश में 13,000 से अधिक जन औषधि केंद्र काम कर रहे हैं और अगले पांच साल में इनकी संख्या बढ़ाकर 25,000 करने का लक्ष्य है। इन केंद्रों के माध्यम से लोगों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
कुल मिलाकर, सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र को बजट में महत्वपूर्ण स्थान दिया है और इसके विकास के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, राज्यों से भी अपेक्षा की जाती है कि वे स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाएं।