NEET Paper Leak Mastermind 2024: ये सुनने में बहुत बुरा लगता है! क्या आपने नीट परीक्षा पेपर लीक कांड के बारे में सुना है? ये तो बहुत बड़ा घोटाला है! सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) इस मामले की जांच कर रही है और अब तक उन्होंने 21 लोगों को गिरफ्तार किया है.
कहानी कुछ यूं है कि, शशि कांत पासवान नाम का एक शख्स है जोकि जमशेदपुर के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) से बीटेक ग्रेजुएट है. इस शख्स को मास्टरमाइंड माना जा रहा है. उसने कुमार और रॉकी नाम के दो लोगों के साथ मिलकर ये पेपर लीक करवाया. इन दोनों को भी पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था.
अब सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि पेपर को हल करने के लिए मेडिकल के छात्रों को शामिल किया गया था! राजस्थान के भरतपुर से दो मेडिकल छात्र कुमार मंगलम और दीपेंद्र शर्मा को सीबीआई ने पकड़ा है. ये दोनों 5 मई को परीक्षा वाले दिन हजारीबाग में मौजूद थे. दरअसल, पेपर चुराने वाला पहले ही पकड़ा जा चुका है. उसका नाम पंकज कुमार है और वो एक इंजीनियर है.
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ये गिरफ्तारियां यहीं नहीं रुकतीं. शुक्रवार को सीबीआई ने रांची के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान ( रिम्स) से एक मेडिकल छात्रा सुरभि कुमारी को भी अरेस्ट किया. इन सब पर पेपर लीक गैंग की मदद करने का आरोप है.
जानकारी के अनुसार, सुरभि को भी 5 मई की सुबह हजारीबाग में देखा गया था. उसे रिम्स से पूछताछ के बाद ही गिरफ्तार किया गया. बता दें कि रिम्स झारखंड सरकार के अधीन एक स्वायत्त संस्थान है.
इससे पहले गुरुवार को सीबीआई ने पटना एम्स के चार मेडिकल छात्रों को भी पकड़ा था. सूत्रों के मुताबिक, इन छात्रों को पेपर सॉल्व करने का काम सौंपा गया था ताकि पेपर लीक गैंग ने जिन छात्रों को पेपर दिलाया था उन्हें इसका हल मिल सके.
अब तक सीबीआई ने इस मामले में छह प्राथमिकी दर्ज की हैं. ये वाकई में बहुत गंभीर मामला है. मेडिकल की सीट पाने के लिए इतना बड़ा फर्जीवाड़ा होना, ये छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है! आशा है कि सीबीआई जल्द से जल्द इस पूरे मामले का पर्दाफाश करेगी और सज़ा के हकदार लोगों को सजा मिलेगी.
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ये तो सिर्फ कहानी का आधा हिस्सा है! इस पूरे नेट पेपर लीक कांड में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. आइए अब आगे देखें कि सीबीआई की जांच में और क्या-क्या सामने आया है.
इन्वॉल्वमेंट का जाल (Web of Involvement)
पहले तो ये समझा जा रहा था कि ये पेपर लीक किसी छोटे गिरोह का काम है, लेकिन जांच आगे बढ़ने के साथ ये साफ हो गया कि ये एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा था. गिरफ्तार किए गए लोगों में शिक्षित युवा, मेडिकल स्टूडेंट्स और यहां तक कि एक सरकारी संस्थान का नाम भी सामने आया है.
सूत्रों के अनुसार, पेपर लीक करने वाले गिरोह ने एजेंट्स का एक जाल बिछा रखा था. ये एजेंट अलग-अलग राज्यों में सक्रिय थे और मेडिकल कॉलेज में सीट पाने के इच्छुक छात्रों को अपना निशाना बनाते थे. मोटी रकम के बदले में ये एजेंट छात्रों को पेपर दिलाने का वादा करते थे.
कैसे हुआ पेपर लीक? (How Did the Paper Leak?)
अभी तक की जांच में ये पता चला है कि पेपर लीक कराने वाले मुख्य आरोपी शशि कांत पासवान ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) के एक हायर सेंटर से पेपर चुराया था. ये हायर सेंटर झारखंड के हजारीबाग में स्थित है.
पासवान ने पेपर किसी और को नहीं, बल्कि पंकज कुमार नाम के एक इंजीनियर को बेच दिया. माना जा रहा है कि पंकज इस पूरे पेपर लीक कांड की कड़ी कनेक्शन था. उसी ने पेपर को आगे मेडिकल छात्रों, कुमार मंगलम और दीपेंद्र शर्मा तक पहुंचाया. ये दोनों छात्र परीक्षा वाले दिन हजारीबाग में मौजूद थे और माना जा रहा है कि उन्होंने पेपर को हल किया.
सॉल्वर गैंग का खेल (The Solver Gang’s Game)
जैसा कि हमने पहले बताया, सीबीआई ने पटना एम्स के चार मेडिकल छात्रों को भी गिरफ्तार किया है. ये छात्र किसी एजेंट के संपर्क में थे और उन्हें पेपर सॉल्व करने का काम सौंपा गया था.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, माना जा रहा है कि इन छात्रों को पेपर हल करने के बाद उसके उत्तर किसी तरह से बाहर भेजे जाने थे. इसका फायदा उन छात्रों को मिलना था जिन्होंने पेपर लीक गैंग से पेपर हासिल किया था.